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" पुरातन युग में ज्ञान-विज्ञान का संगम "

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महर्षि अगस्त्य

Father of Electrical Science (Father of Electricity)

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महर्षि अगस्त्य, भारतीय संस्कृति और ज्ञान के अद्वितीय रत्नों में से एक हैं, जिनके अमूर्त साधनों और योगदानों के माध्यम से भारत भूमि ने समृद्धि एवं विकास की यात्रा की। उनके जीवन और रचनाओं ने साकारात्मक और निराकारात्मक ज्ञान को युगों तक परिचित रखा है।

 

महर्षि अगस्त्य के योगदान:

1. अस्त्र-शास्त्र और युद्धकला: महर्षि अगस्त्य ने अस्त्र-शास्त्र और युद्धकला में अपने ज्ञान का प्रदर्शन किया और उनकी शिक्षा आज भी सैन्यविद्या में महत्वपूर्ण है।

2. विद्युत तंतु और अगस्त्य संहिता: महर्षि अगस्त्य का विज्ञान में अतुल्य योगदान है। जिन्होंने विद्युत तंतु (Electric Fiber) और अगस्त्य संहिता के माध्यम से विद्युत शास्त्र (Electricity) को आगे बढ़ाया।

अगस्त्य संहिता से कुछ श्लोक और उनके अर्थ:

संस्थाप्य मृण्मये पात्रे ताम्रपत्रं सुसंस्कृतम्।

छादयेच्छिखिग्रीवेन चार्दाभिः काष्ठापांसुभिः॥

दस्तालोष्टो निधात्वयः पारदाच्छादितस्ततः।

संयोगाज्जायते तेजो मित्रावरुणसंज्ञितम् ॥

अर्थ: एक साफ मिट्टी के बर्तन के अंदर एक तांबे की शीट रखें और उसमें शिखिग्रीव डालें, जो एक मोर की गर्दन जैसा दिखने वाला पदार्थ (कॉपर सल्फेट) है। फिर उस बर्तन में गीली लकड़ी के चम्मच की सामग्री डालें। इसके बाद ऊपर से जिंक और पारा डालें और इस तरह से तार जोड़ने पर बिजली निकलेगी।

महर्षि अगस्त्य की बिजली उत्पादन की तकनीक अगस्त्य संहिता (इलेक्ट्रिक बैटरी का फॉर्मूला) में पाए जाने वाले वर्तमान बैटरी सेल के समान है।

अगस्त्य संहिता में यह भी बताया गया है कि ऋषि अगस्त्य ने इलेक्ट्रोप्लेटिंग के लिए बिजली का उपयोग कैसे किया। महर्षि अगस्त्य ने बैटरी का उपयोग करके चांदी, सोना और तांबे को चमकाने का तरीका बताया। इसीलिए महर्षि अगस्त्य को कुम्भोद्भव (बैटरी बोन) भी कहा जाता है।

अगस्त्य संहिता में इलेक्ट्रोप्लेटिंग दर्शाता श्लोक:

“अनने जलभंगोस्ति प्राणोदानेषु वायुषु।

एवं शतानां कुंभानांसंयोगकार्यकृत्स्मृतः॥”

अर्थ: जब सौ कुंभ की शक्ति का उपयोग पानी पर इलेक्ट्रोप्लेटिंग के लिए किया जाएगा, तो पानी अपना रूप ऑक्सीजन और हाइड्रोजन में बदल लेगा…

à इस आधुनिक युग में बिजली, संदेश आदि पहुंचाने के लिए बिजली के तारों की केबल बनाई जाती है, उसी प्रकार प्राचीन काल में भी केबल बनाई जाती थी जिन्हें रस्सी कहा जाता था।

नवभिस्तस्नुभिः सूत्रं सूत्रैस्तु नवभिर्गुणः।

गुर्णैस्तु नवभिपाशो रश्मिस्तैर्नवभिर्भवेत्।

नवाष्टसप्तषड् संख्ये रश्मिभिर्रज्जवः स्मृताः।।

अर्थ:इस श्लोक में कहा गया है कि जैसे नव सूत्रों से एक रस्सी बनती है, उसी प्रकार नव गुणों से सूत्र बनता है। और जैसे नव पाशों से गर्दभ बनता है, उसी प्रकार नव बाँधनों से रश्मि बनती है। इसी तरह नव-आठ-सप्त-षट्क संख्याओं में रश्मियों को रज्जु कहा जाता है।

आधुनिक विश्व और विज्ञान के लाभ: महर्षि अगस्त्य के विद्युत तंतु के सिद्धांतों और अगस्त्य संहिता के अद्भुत ज्ञान से आधुनिक विज्ञान को भी लाभ हुआ है। उनकी शिक्षाएँ और सिद्धांतों के आधार पर ही आजकल के बिजली तंतुओं का विकास हुआ है।

विद्युत तंतु की प्रगति: महर्षि अगस्त्य के विद्युत तंतु (Electrical fiber) सिद्धांतों पर आधारित, आधुनिक युग में विद्युत तंतुओं की तकनीकी मास्टरी में बड़ी प्रगति हुई है। उनके योगदान से ही आधुनिक बिजली तंतुओं का विकास हुआ है, जिससे आज हमारा जीवन सुविधाजनक और तकनीकी दृष्टि से प्रगाढ़ हो गया है।

उत्कृष्ट अनुसंधान : अगस्त्य संहिता के अनुसार बनाए गए विद्युत तंतु सिद्धांतों पर आधारित, आजकल के विज्ञान में भूतलीय(surface level) और आसमानीय(sky blue)संधारित उत्सर्जन(controlled emission) के क्षेत्र में उत्कृष्ट अनुसंधान हो रहा है। इससे नए और अधिक सुरक्षित तंतु (fiber) विकसित हो रहे हैं जो आपात स्थितियों में अधिक प्रभावी हो सकते हैं।

नई ऊर्जा स्रोतों की खोज: महर्षि अगस्त्य के विद्युत तंतु और वैज्ञानिक योगदान के प्रेरणात्मक आधार से, आजकल के वैज्ञानिक ऊर्जा तंतुओं की खोज और विकास के क्षेत्र में बड़ा अनुसंधान हो रहा है। नए ऊर्जा स्रोतों की खोज में महर्षि अगस्त्य के सिद्धांतों का उपयोग किया जा रहा है जिससे समृद्धि की ओर एक नया कदम बढ़ा है।

महर्षि अगस्त्य का योगदान, ज्ञान और विज्ञान के क्षेत्र में अत्यंत महत्वपूर्ण है और उनकी विद्या आज भी हमें नये दिशानिर्देश और समृद्धि की दिशा में मार्गदर्शित कर रही है।

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