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समय अवधि: छठी शताब्दी ईसा पूर्व
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छठी शताब्दी ईसा पूर्व में संकलित सुश्रुत संहिता एक प्राचीन भारतीय ग्रंथ है जो सर्जरी और चिकित्सा के विभिन्न पहलुओं को व्यापक रूप से बताता है। इस पाठ का श्रेय भारतवर्ष चिकित्सा विशेषज्ञ महर्षि सुश्रुत को दिया जाता है और माना जाता है कि यह लगभग 600 ईसा पूर्व का है। महर्षि सुश्रुत ने 300 से अधिक शल्य प्रक्रियाओं और लगभग 125 शल्य उपकरणों का वर्णन किया है।
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स्थान: भारतवर्ष, संभवतः वाराणसी
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स्रोत: सुश्रुत संहिता; विभिन्न अध्याय
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शल्य चिकित्सा उपकरणों और तकनीकों का वर्णन सुश्रुत संहिता के विभिन्न अध्यायों में मिलता है, जो प्राचीन शल्य चिकित्सा के ज्ञान और प्रथाओं को रेखांकित करता है।
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प्रमाण:
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साहित्य: सुश्रुत संहिता
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खण्ड: शल्य तंत्र
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श्लोक: सुश्रुत संहिता, सूत्रस्थान
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यत्र यत्र सुजात्यांतरमुत्कृष्टं तत्तत्तस्य दण्डो भवति।
इत्थं च चैकैकस्यास्य प्रकारस्य दण्डो द्वादशाध्याये भवति।
तेनैषः करोति।
अर्थ: जहां भी कोई विशेष यंत्र उत्कृष्ट रूप से डिजाइन किया जाता है, वहां उसका हैंडल उसी के अनुसार बनाया जाता है। इस प्रकार, बारहवें अध्याय में वर्णित प्रत्येक प्रकार के उपकरण का अपना विशिष्ट हैंडल होता है।
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आधुनिक विज्ञान से संबंध: सुश्रुत संहिता में वर्णित सर्जिकल उपकरण आधुनिक सर्जिकल प्रथाओं को प्रभावित करने वाले प्रारंभिक ज्ञान को प्रदर्शित करते हैं।
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सुश्रुत संहिता में शल्य चिकित्सा उपकरणों का विस्तृत वर्णन, प्राचीन काल में शल्य चिकित्सा की उन्नत समझ को प्रदर्शित करता है। इस प्राचीन पाठ में निहित ज्ञान ने शल्य चिकित्सा पद्धतियों की नींव रखी है। सुश्रुत संहिता में वर्णित प्राचीन उपकरणों और शल्य चिकित्सा में उपयोग किए जाने वाले आधुनिक उपकरणों के बीच एक स्पष्ट ऐतिहासिक संबंध है।
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योगदानकर्ता: अल ज़हरावी
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समय अवधि: 10वीं और प्रारंभिक 11वीं शताब्दी ई.पू
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आधुनिक सर्जिकल उपकरणों का विकास जारी है, चल रहे अनुसंधान और तकनीकी सर्जिकल प्रथाओं में उपयोग किए जाने वाले उपकरणों और तकनीकों को आकार दे रहे हैं।
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सर्जिकल उपकरणों का उपयोग विश्व स्तर पर किया जाता है, स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर सर्जिकल प्रक्रियाओं के लिए विभिन्न प्रकार के विशेष उपकरणों का उपयोग करते हैं। इस अवधारणा की शुरुआत प्राचीन भारत में छठी शताब्दी ईसा पूर्व में हुई थी।
Al Zahrawi
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निष्कर्ष: सुश्रुत संहिता में वर्णित सर्जिकल उपकरणों और आधुनिक सर्जिकल प्रथाओं के बीच संबंध, प्राचीन भारतीय विज्ञान में सर्जिकल ज्ञान की समृद्ध विरासत को उजागर करता है। सुश्रुत संहिता में विस्तृत विवरण, सर्जिकल तकनीकों और उपकरणों में शुरुआती प्रगति के प्रमाण के रूप में काम करता हैं, जो विश्व स्तर पर आधुनिक सर्जिकल पद्धतियों की नींव में योगदान करते ह ैं।
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आधुनिक विज्ञान: शल्य चिकित्सा उपकरण
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प्राचीन विज्ञान: महर्षि सुश्रुत (चिकित्सा विज्ञान एवं शल्यक्रिया के जनक) द्वारा शल्य चिकित्सा उपकरण
शल्य चिकित्सा उपकरण
आचार्य सुश्रुत सर्जरी करते हुए