
Gyan vigyan sangam
" पुरातन युग में ज्ञान-विज्ञान का संगम "
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योगदानकर्ता: हार्वे कशिंग
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समय अवधि: 19वीं सदी के उत्तरार्ध से
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स्थान: अमेरिका
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विवरण: मस्तिष्क सर्जरी एक चिकित्सा प्रक्रिया है जिसमें न्यूरोलॉजिकल विकारों, मस्तिष्क के ट्यूमर, आघातजन्य मस्तिष्क की चोटों और अन्य स्थितियों के इलाज के लिए मस्तिष्क के ऊतकों का संचालन किया जाता है। यह मस्तिष्क की नाजुक संरचनाओं तक पहुंचने और उनमें काम करने के लिए जटिल तकनीकों और विशेष उपकरणों का उपयोग करता है।

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निष्कर्ष: प्राचीन भारत मे ं सुश्रुत के अग्रणी कार्य ने चिकित्सा विज्ञान और शल्य चिकित्सा तकनीकों के विकास के लिए नींव रखी, जिसमें मस्तिष्क सर्जरी भी शामिल है। चिकित्सा विज्ञान में उनके योगदान को दुनिया भर में पहचाया और सराहा जाता है, जो आधुनिक स्वास्थ्य देखभाल प्रथाओं में प्राचीन ज्ञान के स्थायी महत्व को उजागर करता है। हम कह सकते हैं कि आधुनिक विज्ञान प्राचीन वैज्ञानिकों के योगदान के माध्यम से जीवित है।
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आधुनिक विज्ञान: मस्तिष्क सर्जरी
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प्राचीन विज्ञान: कर्णशास्त्र
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आविष्कारक: महर्षि सुश्रुत (चिकित्सा विज्ञान और सर्जरी के जनक)
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समय अवधि: लगभग 6वीं सदी ईसा पूर्व
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स्थान: भारतवर्ष
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विवरण: महर्षि सुश्रुत, एक प्राचीन भारतीय ऋषि और चिकित्सक, को सर्जरी की प्रारंभिक तकनीकों का अग्रदूत माना जाता है, जिसमें मस्तिष्क से संबंधित प्रक्रियाएँ भी शामिल हैं। अपनी रचना "सुश्रुत संहिता" में, उन्होंने अपने समय में उपयोग की जाने वाली विभिन्न शल्य चिकित्सा तकनीकों और उपकरणों का वर्णन किया, जिसमें कपाल की सर्जरी भी शामिल है।
प्रमाण: सुश्रुत संहिता, उत्तरतंत्र, अध्याय 1, श्लोक 22:
चूर्णाः शिरसि भिद्यन्ते ये वा भिद्यन्ति केचन।
तेभ्यः कुर्याद्भिदान्यां कालकर्मात्मकान्यथा॥
अनुवाद: "जब सिर की हड्डियाँ टूटी हों या उनमें से कुछ छिद्रित हों, तो चिकित्सक को समय और कारणों के अनुसार उचित स्थानों पर उन्हें छेदने का कार्य करना चाहिए।"
अर्थ: इस श्लोक में सुश्रुत संहिता से सिर की चोटों और फ्रैक्चर का इलाज करने के लिए ट्रेफिनेशन करने की सलाह दी गई है, जो एक प्रकार की कपाल सर्जरी है जिसमें दबाव को कम करने या हड्डी के टुकड़ों को हटाने के लिए खोपड़ी में एक छेद ड्रिल या खुरचा जाता है।
सुश्रुत संहिता के कुछ अन्य श्लोक जो मस्तिष्क उपचार पर चर्चा करते हैं:
1. सुश्रुत संहिता, सूत्रस्थान, अध्याय 8, श्लोक 19:
कपालस्थापने षड्भिः शस्त्रैः क्रियते क्रिया।
तेषां स्थानानि कार्याणि विज्ञेयानि च बुद्धिमान्॥
अनुवाद: खोपड़ी के फ्रैक्चर का इलाज करने के लिए छह प्रकार के शल्य चिकित्सा उपकरण (शास्त्र) का उपयोग किया जाता है। बुद्धिमान को उनके विशिष्ट स्थानों और अनुप्रयोगों को समझना चाहिए।
2. सुश्रुत संहिता, सूत्रस्थान, अध्याय 6, श्लोक 31:
अर्धविभ्रंशहेतोश्च शस्त्रकर्म परं मतम्।
स्रावणीयं च मूर्ध्नः स्रावेणोपधमेत् क्रमात्॥
अनुवाद: आधे सिर की चोटों के लिए सर्जरी को सर्वोत्तम उपचार माना जाता है, उसके बाद अतिरिक्त तरल पदार्थों को निकालने की प्रक्रिया होती है।
3. सुश्रुत संहिता, चिकित्सा स्थान, अध्याय 6, श्लोक 16:
मूर्च्छा शोणितसंरुद्धा तिर्यगूर्ध्वं तथाऽधवा।
शूलसंरुद्धकर्णाश्च स्रावेणोपशमं ययुः॥
अनुवाद: सिर में रक्त प्रवाह के अवरोध के कारण होने वाले मूर्छा का इलाज रक्तस्राव से किया जा सकता है, जो दर्द और अन्य लक्षणों को कम करने में मदद करता है।
4. सुश्रुत संहिता, उत्तरतंत्र, अध्याय 21, श्लोक 41:
मस्तिष्कं दशवाराणि संस्कारा मन्त्रदूतकैः।
अनुवाद: मस्तिष्क का उपचार दस दिनों तक औषधियों और मंत्रों से किया जाना चाहिए।
ये श्लोक प्राचीन आयुर्वेद में मस्तिष्क संबंधी समस्याओं के उपचार की प्राचीन समझ और जानकारी प्रदान करते हैं, जैसा कि सुश्रुत संहिता में वर्णित है।
आधुनिक और प्राचीन अवधारणाओं के बीच संबंध: आधुनिक समय में, मस्तिष्क सर्जरी की अवधारणा, महर्षि सुश्रुत द्वारा वर्णित प्राचीन तकनीकों से जोड़ सकती है। यह प्राचीन चिकित्सा वैज्ञानिकों की महानता को दर्शाता है। महर्षि सुश्रुत का चिकित्सा विज्ञान और शल्य चिकित्सा में योगदान आधुनिक स्वास्थ्य विज्ञान का अग्रदूत है। यह दिखाता है कि प्राचीन लोग ऐसी जटिल सर्जरी करने में बहुत कुशल और शिक्षित थे।
महर्षि सुश्रुत सर्जरी करते हुए

हार्वे कशिंग
महर्षि सुश्रुत द्वारा खोपड़ी की सर्जरी में इस्तेमाल किए गए शल्य चिकित्सा उपकरण (शास्त्र)
हड़प्पा स्थल पर सफल खोपड़ी सर्जरी की 4300 साल पुरानी मानव खोपड़ी मिली
