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आधुनिक विज्ञान: प्लास्टिक सर्जरी तकनीक
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योगदानकर्ता: सर हेरोल्ड गिलीज़ (आधुनिक प्लास्टिक सर्जरी के जनक)
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विवरण: विभिन्न वैज्ञानिकों और चिकित्सकों द्वारा विकसित प्लास्टिक सर्जरी तकनीक, 20वीं सदी के बाद से महत्वपूर्ण रूप से विकसित हुई है। इन तकनीकों में कार्यात्मक या सौंदर्य प्रयोजनों के लिए मानव शरीर का परिवर्तन करने के उद्देश्य से प्रक्रियाओं की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल है।
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समय अवधि: 20वीं शताब्दी के बाद
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समयावधि: 600 ईसा पूर्व
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स्थान: भारतवर्ष
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साक्ष्य: सुश्रुत संहिता,
सुश्रुत संहिता , सूत्रस्थान, अध्याय 16:
"यत्र नासिकां निकुज्याद्यांते सुत्राधारां समारोप्य तद्वत्"
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अर्थ: "जहां नाक कटी हो, वहां एक नली जैसी संरचना (सूत्रधार) रखकर उसी प्रकार से उसका पुनर्निर्माण करें।"
सुश्रुत संहिता , उत्तर तंत्र , अध्याय 16, श्लोक 9
स्वग्रहं द्विगुणं तन्मूलच्छेदेन कुर्यात्।
द्विगुणं सादृशघ्राणां गृह्णात्संयोगमेव च॥
अर्थ: "लापता नाक के आकार के बराबर त्वचा का एक टुकड़ा गाल से अलग किया जाना चाहिए, और इसे दागने के बाद, इसे नाक से सिल दिया जाना चाहिए।"
आधुनिक विज्ञान से संबंध: आधुनिक सर्जरी तकनीकें सुश्रुत संहिता की कई सर्जिकल तकनीकों से प्रेरित हैं, जिनमें राइनोप्लास्टी, प्लास्टिक सर्जरी, दंत चिकित्सा, मोतियाबिंद सर्जरी और कई अन्य शामिल हैं।
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प्राचीन विज्ञान: महर्षि सुश्रुत (शल्यक्रिया एवं चिकित्सा विज्ञान के जनेता)
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निष्कर्ष: 20वीं सदी के बाद से दुनिया भर में विकसित प्लास्टिक सर्जरी तकनीकों में महत्वपूर्ण प्रगति देखी गई है। प्राचीन भारत में, 600 ईसा पूर्व की सुश्रुत संहिता में राइनोप्लास्टी सहित विस्तृत शल्य चिकित्सा तकनीकें शामिल हैं। सुश्रुत संहिता में पाई गई अवधारणाएं आधुनिक प्लास्टिक सर्जरी प्रथाओं के साथ एक उल्लेखनीय संबंध प्रदान करती हैं, जो इस क्षेत्र में प्राचीन चिकित्सा ज्ञान की स्थायी विरासत को उजागर करती हैं। महर्षि सुश्रुत के चिकित्सा एवं शल्यक्रिया के ज्ञान ने सम्पूर्ण सृष्टि को चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र मे, मार्गदर्शित किया है ।
आचार्य सुश्रुत सर्जरी करते हुए...
आधुनिक विज्ञान में प्लास्टिक सर्जरी तकनीक
''सुश्रुत'' लौकी, तरबूज़, खीरे पर नकली सर्जरी कर रहे हैं।
सुश्रुत संहिता से सर्जिकल उपकरण
महर्षि सुश्रुत द्वारा राइनोप्लास्टी
आचार्य सुश्रुत राइनोप्लास्टी सर्जरी करते हुए...
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प्लास्टिक सर्जरी