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Gyan vigyan sangam

" पुरातन युग में ज्ञान-विज्ञान का संगम "

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  • योगदानकर्ता: विभिन्न

  • समय अवधि: 20वीं शताब्दी के बाद

  • स्थान: विश्वव्यापी

  • स्थान: भारतवर्ष 

  • साक्ष्य: रानी की वाव, पाटन, गुजरात

  • रानी-की-वाव, जिसे रानी की बावड़ी के नाम से भी जाना जाता है, गुजरात के पाटन में स्थित 11वीं शताब्दी की बावड़ी है। ऐसा माना जाता है कि इसका निर्माण 1050 ईस्वी. के आसपास राजा भीमदेव प्रथम की विधवा पत्नी रानी उदयमती ने राजा की याद में करवाया था। यह बावड़ी गुजरात में सबसे भव्य और सबसे विस्तृत बावड़ी में से एक है, जिसका निर्माण 1063-1068 ईस्वी पूर्व हुआ था।रानी -की-वाव, सरस्वती नदी के तट पर, शुरू में 11वीं शताब्दी ईस्वी में एक राजा के स्मारक के रूप में बनाया गया था। बावड़ियाँ भारतीय उपमहाद्वीप में भूमिगत जल संसाधन और भंडारण प्रणालियों (Water Harvesting) का एक विशिष्ट रूप हैं, और इनका निर्माण तीसरी सहस्राब्दी ईसा पूर्व से किया गया है।

  • साक्ष्य: चांद बावड़ी, राजस्थान

  • राजस्थान के आभानेरी गांव में स्थित चांद बावड़ी को भारत की सबसे पुरानी जीवित बावड़ियों में से एक माना जाता है। इसका निर्माण निकुंभ वंश के राजा चांद ने 800 से 900 ईस्वी. के बीच करवाया था।

  • आधुनिक विज्ञान से संबंध: वर्षा जल संचयन प्रणालियाँ (rainwater harvesting system), बावड़ियों की प्राचीन वैज्ञानिक प्रथा की प्रतिध्वनि करती हैं, जैसा कि ऋग्वेद और विभिन्न पुराणों में वर्णित है।

  • प्राचीन विज्ञान: वर्षा जल संचयन प्रणाली

रानी की वाव जल संचयन एवं बावड़ी

रानी की वाव जल संचयन एवं बावड़ी
रानी की वाव जल संचयन एवं बावड़ी
रानी की वाव जल संचयन एवं बावड़ी
चांद बावड़ी राजस्थान जल संचयन और बावड़ी
चांद बावड़ी राजस्थान जल संचयन और बावड़ी
चांद बावड़ी राजस्थान जल संचयन और बावड़ी

चांद बावड़ी राजस्थान जल संचयन और बावड़ी

  • आधुनिक विज्ञान: वर्षा जल संचयन प्रणाली

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