Menu
-
आधुनिक विज्ञान: परमाणु सिद्धांत
-
योगदानकर्ता : जॉन डाल्टोन (1766-1844)
अर्नेस्ट रूथेरफोर्ड (1871-1937)
-
विवरण: 19वीं शताब्दी में जॉन डाल्टन द्वारा प्रतिपादित परमाणु सिद्धांत का प्रस्ताव है कि पदार्थ अविभाज्य और अविनाशी कणों से बना है जिन्हें परमाणु के रूप में जाना जाता है। डाल्टन के कार्य ने आधुनिक परमाणु सिद्धांत की नींव रखी।
-
समयावधि: 19वीं सदी
-
स्थान: यूनाइटेड किंगडम
अर्नेस्ट रूथेरफोर्ड
जॉन डाल्टोन
-
समय अवधि: छठी-दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व
-
स्थान: भारतवर्ष
-
प्रमाण:
वैशेषिक सूत्र, सूत्र 1.1.4:
"आत्मा वा तद्धर्माणां साक्षात् कर्ता विशेषः"
-
अर्थ: "आत्मा एक परमाणु के गुणों को सीधा समझने में विशेष झरिया है।"
एक ऐसा श्लोक है:
अणुपरमाणूच्यम् त्रसरूपकं तत्तदवयवयोगजं नाम द्रव्यम्।
तस्य संयोगजवत्वादवयवत्वाच्च सत्त्वमात्रं सत्याम्।
अणवत्त्वादवयवत्वाच्च। तस्य संयोगजवत्वाच्च।
तस्य संयोगजवत्वादवयवत्वाच्च सत्त्वमात्रं सत्याम्।
इसका हिंदी अनुवाद है:
अणु और परमाणु के सम्बंध से मिलकर बने हुए रूपक को 'द्रव्य' कहते हैं। उसकी सत्ता केवल संयोग और अवयव का
योग है, इसमें सत्ता का मात्र रूप है। अणुओं के सत्तात्मक होने के कारण और उनके संयोगों के कारण ही द्रव्य सत्तात्मक होता है।
विवरण:
इस सूत्र में यह कहा गया है कि अणु और परमाणु के संयोगों से मिलकर बने हुए रूपक को 'द्रव्य' कहते हैं। इसका सत्तात्मक होना उसके अवयवों की योजना और संयोगों में है, और इसमें सत्ता का केवल मात्र रूप है। इस सूत्र ने स्पष्टता से बताया है कि द्रव्य का सत्तात्मक होना उसके अंशों और उनके संयोगों पर निर्भर करता है।
-
आधुनिक विज्ञान से संबंध: कणाद के वैशेषिक सूत्र, परमाणु सिद्धांत पर संकेत देते हैं, जो बाद के डाल्टन परमाणु सिद्धांत के साथ वैचारिक आधार साझा करता है। परमाणु की संरचना एवं सम्पूर्ण परमाणु सिद्धांत महर्षि कणाद द्वारा बहुत पहले ही संशोधन में आ गया था ।
-
प्राचीन विज्ञान: महर्षि कणाद (परमाणु सिद्धांत और भौतिक विज्ञान के जनक) द्वारा वैशेषिक सूत्र
-
निष्कर्ष: जॉन डाल्टन के 19वीं सदी के परमाणु सिद्धांत ने प्रस्तावित किया कि पदार्थ में अविभाज्य परमाणु होते हैं। प्राचीन भारत में, छठी-दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व के महर्षि कणाद के वैशेषिक सूत्र में परमाणु सिद्धांत का सुझाव देने वाले सूत्र शामिल है, जहां आत्मा एक परमाणु के गुणों को समझने में विशेष झरिया है। यह संबंध प्राचीन भारतीय दार्शनिक विचार और आधुनिक परमाणु सिद्धांत के बीच वैचारिक समानता पर प्रकाश डालता है।