
Gyan vigyan sangam
" पुरातन युग में ज्ञान-विज्ञान का संगम "
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आधुनिक विज्ञान: उन्नत मिश्र धातु (Metal Alloys)
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योगदानकर्ता: रॉबर्ट एबॉट हेडफ़ील्ड (मिश्र धातु के जनक) 1882
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विवरण: वह एक अंग्रेजी धातुविज्ञानी थे, जो 1882 में मैंगनीज स्टील की खोज के लिए जाने जाते थे, जो पहली स्टील मिश्र धातुओं में से एक थी। उन्होंने सिलिकॉन स्टील का भी आविष्कार किया।
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प्राचीन विज्ञान: आयुर्वेदिक रसशास्त्र
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आविष्कारक: महर्षि नागार्जुन (रसशास्त्र के जनेता)
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समय अवधि: 150 - 250 CE
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स्थान: भारतवर्ष
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स्रोत: नागार्जुन द्वारा रसरत्नाकर
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प्रमाण:
रसरत्नाकर, अध्याय 2, श्लोक 1-10:
“यथा कौस्तुभं सौक्ष्म्यात् राजतं लाघवात् करेत् "
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अर्थ: "जिस प्रकार कौस्तुभ मणि धातुओं की सूक्ष्मता से निर्मित होती है, उसी प्रकार धातुओं को विभिन्न प्रक्रियाओं के माध्यम से रूपांतरित किया जा सकता है।"
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आधुनिक विज्ञान से संबंध: आयुर्वेदिक ग्रंथ, विशेष रूप से रसशास्त्र, प्रारंभिक धातुकर्म ज्ञान का प्रदर्शन करते हुए, औषधीय गुणों के साथ मिश्र धातु तैयार करने का वर्णन करते हैं।
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आयुर्वेदिक रसशास्त्र

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निष्कर्ष: आधुनिक विज्ञान में चल रही प्रगति ने विविध अनुप्रयोगों के साथ उन्नत मिश्र धातुओं के विकास को जन्म दिया है। प्राचीन भारत में, आयुर्वेदिक ग्रंथों, विशेष रूप से रसशास्त्र में मिश्रधातु तैयार करने के बारे में ज्ञान मिलता है। जबकि रसशास्त्र में प्राथमिक ध्यान औषधीय गुणों पर है, यह धातु विज्ञान की प्रारंभिक समझ को दर्शाता है, जो प्राचीन वैज्ञानिक परंपराओं में मिश्र धातु के विकास की ऐतिहासिक जड़ों को उजागर करता है।
महर्षि नागार्जुन

रॉबर्ट एबॉट हेडफील्ड
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मिश्र धातु
