top of page

Gyan vigyan sangam

" पुरातन युग में ज्ञान-विज्ञान का संगम "

Gyan Vigyan Sangam Logo
Menu
Gradient Background
  • आविष्कारक: महर्षि वेद व्यास (गायनेकोलोगी के विशेषज्ञ और महाभारत के रचयिता)

  • समय अवधि: महाभारत काल

  • स्थान: भारतवर्ष

  • विवरण: महाभारत में 100 कौरवों के जन्म की घटना है, जिसमें कुंभ गर्भ नामक प्राचीन क्लोनिंग तकनीक शामिल है। महाराज धृतराष्ट्र की पत्नी गांधारी ने 2 साल की असामान्य रूप से लंबी अवधि तक गर्भवती रहने के बाद, एक मांस के एक पिंड को (जो कुछ और नहीं बल्कि प्रोटीन था) जन्म दिया । महर्षि वेद व्यास ने इसे देखकर उस पिंड (प्रोटीन) को 101 टुकड़ों में विभाजित किया और उन्हें कुछ आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों और औषधियों के साथ घी से भरे बर्तनों में रख दिया। समय के साथ, ये टुकड़े 100 पुत्रों (कौरवों) और एक पुत्री (दुशाला) में विकसित हुए।

प्रमाण:

   महाभारत (आदि पर्व), संभव पर्व:-

1. श्लोक 18 का भाग

धृत्पूर्णे कुण्डरतं क्षिप्रमेव विधीयताम् ।। 18।।

  • अर्थ: महर्षि वेदव्यास गांधारी से शीघ्र ही सौ घड़ों का प्रबंध करने और उन्हें घी से भर देने को कहा।

2. श्लोक 22 का भाग

ततस्तांस्तेषु कुण्डेषु गर्भानवदधे तदा ।। 22।।

  • अर्थ: तब गांधारी ने उन मांस के टुकड़ों को 100 बर्तनों में डाल दिया।

3. श्लोक 23

शशंस चैव भगवान् कालेनैतावता पुनः ।

उद्घाटनितान्येतानि कुण्डानिति सौवलीम् ।। 23।।

  • अर्थ: महर्षि वेदव्यास ने गांधारी से कहा की उन घड़ों को दो वर्ष की निश्चित अवधि के बाद ही खोला जाना चाहिए।

 

क्लोनिंग और कुंभ गर्भ की प्राचीन अवधारणा के बीच संबंध: क्लोनिंग की अवधारणा और प्राचीन कुम्भ गर्भ दोनों में गर्भधारण की प्राकृतिक प्रक्रिया के बिना संतानों का निर्माण शामिल है। क्लोनिंग में, एक ही जीव से आनुवंशिक सामग्री (genetic material) का उपयोग आनुवंशिक रूप से समान प्रतियों का उत्पादन करने के लिए किया जाता है। प्राचीन अवधारणा में, महर्षि वेद व्यास द्वारा मांस के द्रव्यमान के विभाजन से, समान आनुवंशिक सामग्री के साथ कई संतानों का निर्माण हुआ। दोनों उदाहरण संतान उत्पन्न करने के लिए जैविक प्रक्रियाओं में हेरफेर को प्रदर्शित करते हैं। इसलिए, हम कह सकते हैं कि क्लोनिंग और कुंभ गर्भ की प्राचीन अवधारणा के बीच कोई अंतर नहीं है।

  • योगदानकर्ता: हेन्स स्पीमैन और हिल्डे मैंगोल्ड (1938), इयान विलमट (1996)

  • स्थान: जर्मनी (पहली सफल पशु क्लोनिंग) और यूनाइटेड किंगडम (पहला सफल मेमल क्लोनिंग)

  • विवरण: क्लोनिंग एक जीव की आनुवंशिक (genetical) रूप से समान प्रतियाँ बनाने की प्रक्रिया है। स्तनधारियों के संदर्भ में, इसमें दाता कोशिका (cell) के नाभिक (nucleus) को एक अंडे की कोशिका में स्थानांतरित किया जाता है, जिसका नाभिक हटा दिया गया हो, जिसके परिणामस्वरूप दाता जीव के आनुवंशिक (genetic) रूप से समान भ्रूण का विकास होता है।

इयान विलमट
  • निष्कर्ष: आधुनिक समय में क्लोनिंग के पीछे की कार्यप्रणाली और वैज्ञानिक समझ को महाभारत जैसे प्राचीन भारतीय ग्रंथों और अथर्ववेद जैसे वेदों से प्रेरणा मिली है। ये घटनाएँ और उनमें निहित विज्ञान यह बताता है कि प्राचीन भारतीय वैज्ञानिक (ऋषि मुनि), विज्ञान एवं चिकित्सा ज्ञान में बहुत समृद्ध थे, जिनके पास अनुभूत ज्ञान का मिश्रण था। उन्होंने सदियों पहले ऐसे जटिल प्रयोग किए हैं और अब वे आधुनिक विज्ञान को लगातार प्रेरित कर रहे हैं।

  • आधुनिक विज्ञान: क्लोनिंग की अवधारणा

  • प्राचीन विज्ञान: कुम्भ गर्भ की अवधारणा

आधुनिक vs. प्राचीन क्लोनिंग चैंबर

कुंभ गर्भ को दर्शाती पत्थर की नक्काशी

महर्षि वेद व्यास ने 100 अलग-अलग कुंभों में 100 कौरवों की क्लोनिंग की थी
हिल्डे मैंगोल्ड
हेन्स स्पीमैन
images.jpg
bottom of page