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महर्षि वाल्मीकि की महानता



महर्षि वाल्मीकि, भारतीय साहित्य और संस्कृति के महाकवि एवं एक अद्वितीय स्तर पर महान प्रतिभा और श्रेष्ठता का प्रतीक है। उनका योगदान महाकाव्य 'रामायण' के माध्यम से ही नहीं, बल्कि उनके जीवन और उनके रचनात्मक क्षमताओं के माध्यम से भी व्यापक रूप में दिखता है।
महर्षि वाल्मीकि के योगदान:
1. रामायण की रचना:
महर्षि वाल्मीकि की सर्वश्रेष्ठ कृति 'रामायण' की रचना सम्पूर्ण मानव जाति को स्वयं के बोध की ओर मार्गदर्शित करती है। इसमें सत्य, नैतिकता और मानवता के सिद्धांतों को सुंदर रूप से प्रस्तुत किया गया है। हकीकत में यह महान ग्रंथ के रूप में महर्षि वाल्मीकि ने सम्पूर्ण भीतर के सत्य को उजागर किया है। बुद्धि योग के अद्वितीय ज्ञान को प्रकाशित किया है।
2. संस्कृत व्याकरण:
महर्षि वाल्मीकि ने संस्कृत व्याकरण के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उनका व्याकरण ग्रंथ 'वाल्मीकि सूत्र' के रूप में प्रसिद्ध है।
3. शिक्षा के दाता:
महर्षि वाल्मीकि ने अपने आश्रम में बहुत से शिष्यों को शिक्षा दी और उन्हें सत्य, नैतिकता और विज्ञान में प्रशिक्षित किया।
4. देववाणी संस्कृति के अद्भूत साक्षर:
महर्षि वाल्मीकि ने वाणी में संस्कृत को सर्वोत्तम उदाहरण के रूप में स्थान बताया है। उनकी रचनाएँ संस्कृत भाषा को सजीव बनाए रखती हैं और उसे साक्षरता की ऊंचाइयों तक पहुँचाती हैं।
रामायण से एक श्लोक और उनके अर्थ:
सीताराज्याभिषेक (रामायण ६.१२७.१):
तेन तस्मिन्नरे राजा श्रीमान्राज्यमकारयत्।
पुराभिषेकसंपन्ने विज्ञानेनाभिसंवृतः।
अर्थ:
उस समय राजा श्रीराम ने वह राज्य संपन्न किया, जिसमें पुराभिषेक सम्पन्न हुआ था और वह विज्ञान से समृद्ध हो गया था। यह श्लोक हमे स्पष्ट समझाने का प्रयत्न कर रहा है की उस समय भारतवर्ष पूर्णतः समृद्ध एवं ज्ञान - विज्ञान में अव्वल था।
आधुनिक विश्व और विज्ञान के लाभ:
महर्षि वाल्मीकि के रामायण में विभिन्न वैज्ञानिक और दार्शनिक सिद्धांत है जो आधुनिक विश्व को भी प्रेरित करते हैं। एक उदाहरण के रूप में, रामायण में बुन्देलखंड में सुग्रीव और वानर सेना के बीच की युद्ध योजना का वर्णन है, जिसे मॉडल ताकतों का उपयोग करके विश्व के सैन्य रणनीतिकों ने अध्ययन किया है। महर्षि वाल्मीकि का योगदान विश्व धरोहर में अविस्मरणीय है।
