Menu
आचार्य पिङ्गल भारतीय गणित और छंदशास्त्र के प्रमुख आचार्यों में से एक थे। उन्होंने अपने अद्वितीय योगदान के माध्यम से गणितीय सिद्धांतों को समृद्धि और विकास की दिशा में ले जाने हेतु अग्रणी भूमिका निभाई।
आचार्य पिङ्गल का प्रमुख योगदान छंदशास्त्र में है, जो काव्य और गणित के सांगीतिक संरचना को विवेचित करता है। उन्होंने 'छंदःशास्त्र' ग्रंथ में छंदों के प्रकार, मात्रा, अलंकार, गिनती आदि के सिद्धांतों को स्थापित किया। इसके अलावा, आचार्य पिङ्गल ने संख्या सिद्धांत में भी अपने विशेष अध्ययन की बातें की हैं।
'छंदःशास्त्र' ग्रंथ में कुछ श्लोक हैं, जो आचार्य पिङ्गल के उदार ज्ञान को प्रमाणित करते हैं। एक ऐसा श्लोक है:
(छंदशास्त्र)
अर्ध इत्यनुवर्तते । विषमसङ्ख्यायामेकमधिकं निक्षिप्य ततोऽर्धयेत ।
तत्रैको गकारो लभ्यते । तं पूर्वलब्धाल्लकारात् परं स्थापयेत् ।
ततो द्विसंख्यावशिष्यते । पुनस्तामर्थ- येत, ततश्चैकलकारं दद्यात् ।
ततश्चैकसंख्यावशिष्यते । तत्र तावत् सैके गिति लक्षण- मावर्तनीयं यावद्धृत्ताक्षराणि षट् पूर्यन्ते ।
एवं सङ्ख्यान्तरेऽपि योज्यम्
अर्थ:
"विषम संख्या के मामले में, एक और जोड़ना चाहिए और फिर उसे आधा करना चाहिए। इस प्रक्रिया के दौरान, शेषांश के रूप में 'गुरु' प्राप्त होता है। उस 'गुरु' को पिछले परिणाम के बाद जोड़ना चाहिए। फिर, परिणाम को दो में विभाजित करें। फिर समान प्रक्रिया का पालन करते हुए, परिणाम के बाद 'लघु' जोड़ें। फिर परिणाम को दो में विभाजित करें। इस प्रक्रिया को जारी रखें जब तक अक्षरों की संख्या समाप्त नहीं होती। इस प्रकार, अन्य संख्याओं के लिए भी, ऐसी ही प्रक्रिया का पालन किया जाना चाहिए।"
-
पिंगला की अंक प्रणाली में:
-
"लघु" अंक 1 का प्रतिनिधित्व करता है।
-
"गुरु" अंक 0 का प्रतिनिधित्व करता है।
-
आचार्य पिङ्गल के ग्रंथों और सिद्धांतों का प्रभाव आज के युग में भी दिखाई देता है। उनके छंदशास्त्रीय सिद्धांतों ने काव्यशास्त्र और संगीत में नए रूपांतर को दिशा दिखाई है। उनके संख्या सिद्धांतों का अनुसरण करके आधुनिक गणित में भी गणितीय और समीकरण विधियाँ विकसित हुईं।
आचार्य पिङ्गल का योगदान हमें यह सिखाता है कि हमारी संस्कृति, गणित और कला के क्षेत्र में कितनी ऊंचाई पर है, जो आधुनिक युग में भी हमें प्रेरित करती है।
आचार्य पिंगल का गणित शस्त्र मे अति महान योगदान रहा। उन्होंने अपने द्वारा लिखी गई पुस्तक, छंदशास्त्र के माध्यम से इस विश्व को binary number system का ज्ञान, “मेरु प्रस्तर” जिसे आज का गणित Pascal’s triangle कहता है, वह भी आचार्य पिंगल के द्वारा अपनी किताब मे दिया गया है। विश्व मे Fibonacci series के नाम से प्रख्यात संख्या प्रणाली, उसकी प्रेरणा भी आचार्य पिंगल के छंदशास्त्र से मिलती है। ऐसे महान गणितज्ञ एवं कवि को हमारा शत शत वंदन।