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आचार्य कणाद : परमाणु सिद्धांत एवं भौतिक विज्ञान के जनेता
Father of Atomic Theory and Physics





दर्शनशास्त्र : अंतरिक दर्शन का अनुभव
आचार्य कणाद, जिन्हें भारतीय दर्शनशास्त्र (Philosophy) में महान गणितज्ञ और दार्शनिक के रूप में जाना जाता है, जिन्होंने अपने योगदान से भारतीय विज्ञान और दर्शन को एक नए स्तर पर पहुंचाया है।
आचार्य कणाद का प्रमुख योगदान उनके ग्रंथ 'वैशेषिक सूत्र' में है, जो प्रत्यक्ष और अनुमान प्रमाणों के माध्यम से परमाणुओं की स्थिति और गुणों की विश्लेषण को विवेचित करता है। इसके अलावा, आचार्य कणाद ने विशेषक रूप से अद्वैत वेदांत, न्याय, वैशेषिक, मीमांसा, सांख्य, योग आदि विषयों पर भी अपने दृष्टिकोण साझा किए।
'वैशेषिक सूत्र' में कुछ श्लोक हैं, जो आचार्य कणाद के उदार ज्ञान को साबित करते हैं।
एक ऐसा श्लोक है:
अणुपरमाणूच्यम् त्रसरूपकं तत्तदवयवयोगजं नाम द्रव्यम्।
तस्य संयोगजवत्वादवयवत्वाच्च सत्त्वमात्रं सत्याम्।
अणवत्त्वादवयवत्वाच्च। तस्य संयोगजवत्वाच्च।
तस्य संयोगजवत्वादवयवत्वाच्च सत्त्वमात्रं सत्याम्।
इसका हिंदी अनुवाद है:
अणु और परमाणु के सम्बंध से मिलकर बने हुए रूपक को हम 'द्रव्य ' (Matter)कहते हैं। उसकी सत्ता केवल संयोग और अवयव की योगना में है, इसमें सत्ता का मात्र रूप है। अणुओं का सत्तात्मक होने के कारण और उनके संयोगों के कारण ही द्रव्य का सत्तात्मक होना है।
विवरण:
इस सूत्र में यह विचार किया जाता है कि अणु (Molecules) और परमाणु (Atoms) के संयोगों से मिलकर बने हुए रूपक को 'द्रव्य' कहते हैं। इसका सत्तात्मक होना उसके अवयवों के योगना और संयोगों में है और इसमें सत्ता का केवल मात्र रूप है। इस सूत्र ने स्पष्टता से बताया है कि द्रव्य का सत्तात्मक होना उसके अंशों और उनके संयोगों के आधार पर है।
आचार्य कणाद के ग्रंथों और सिद्धांतों का प्रभाव आज के युग में भी महत्वपूर्ण है। उनकी व्याख्याएँ और सिद्धांतों ने आधुनिक भौतिक शास्त्र (Physics) और विज्ञान में भी अपना प्रभाव बनाए रखा है। उनके तत्त्वशास्त्र ने परमाणुओं की अद्भुत विश्लेषण की अनुमति दी, जिससे आधुनिक भौतिकी ने नई दिशाएँ प्राप्त की।
आचार्य कणाद का योगदान हमें यह दिखाता है कि हमारी भारतीय संस्कृति में गणित और दर्शन शास्त्रों के क्षेत्र में कितनी श्रेष्ठता थी, जिसने आधुनिक विज्ञान और भौतिकी (Physics) को भी प्रेरित किया है।
महर्षि कणाद के योगदान का विवरण देते हुए हृदय प्रफुल्लित हो उठता है। इस विश्व को परमाणु सिद्धांत के साथ गुरुत्वाकर्षण का रहस्य उजागर करने वाले इस जगत के प्रथम वैज्ञानिक आचार्य कणाद है। उन्होंने सर आइसेक न्यूटन से हजारों वर्षों पूर्व ही अपनी वैशेषिक सूत्र मे गुरुत्वाकर्षण एवं गति के तीनों नियमों को उजागर कर दिया था। वह एक अवर्णनीय भौतिक विज्ञान के ज्ञाता थे। उनके द्वारा दिए गए सिद्धांतों एवं नियमों पर तो आज का विज्ञान सफल है। ऐसे महान दार्शनिक शास्त्री एवं वैज्ञानिक को हमारा शत शत वंदन।
