top of page

Gyan vigyan sangam

" पुरातन युग में ज्ञान-विज्ञान का संगम "

Gyan Vigyan Sangam Logo
Menu
Background Image

आचार्य चरक: आयुर्वेद के महान सिद्धांतकार

Father of Medicine and Ayurved

आचार्य चरक

Click Here to Play Audio

00:00 / 03:56
Background Image
Background Image
Background Image
Background Image

योगदान 

Click Image to Learn more 

आयुर्वेद के अद्वितीय सिद्धांतकार और योगदाता, आचार्य चरक भारतीय चिकित्सा विज्ञान के प्रख्यात नायक माने जाते हैं। उनका योगदान आयुर्वेदिक चिकित्सा में अद्भुत सिद्धांतों और व्याख्यानों के साथ ही, विभिन्न चिकित्सा सामग्रियों और औषधियों की खोज में भी सुप्रसिद्ध है।

आचार्य चरक ने 'चरक संहिता' के माध्यम से अपने ज्ञान को साझा किया, जो आज भी आयुर्वेदिक चिकित्सा की प्रमुख ग्रंथों में गिना जाता है। उनका यह महाकाव्य ग्रंथ सिद्धांत, विधि और रोग-निदान के प्रणाली को समेटता है, जिससे चिकित्सा के क्षेत्र में व्यापक समृद्धि हुई।

आचार्य चरक के दिए गए सिद्धांतो में से त्रिदोष सिद्धांत मे वात, पित्त और कफ को मूल रूप से समझाया गया है।इस सिद्धांत ने आयुर्वेदिक चिकित्सा को एक नए दृष्टिकोण से देखने का मार्ग प्रदर्शित किया।

 

चरक संहिता में कुछ महत्त्वपूर्ण श्लोकों का उल्लेख करते हैं:

शरीरे दोषाः कलुषन्ति मां यथा ते शक्नुयान्ति तं विजानीयात्।

   अर्थात्, जैसे शरीर में दोष होते हैं, वैसे ही व्यक्ति उन्हें सही करने में सक्षम होता है, ऐसा जानना चाहिए।

यत्र न योगो भवति विद्या धनाध्ययनं तत्र श्रमः कुतो विरागः।

   अर्थात्, जहां योग और विद्या का अभ्यास नहीं होता, वहां श्रम की अभावना कहाँ से आएगी?

आचार्य चरक ने न केवल चिकित्सा के क्षेत्र में अपना योगदान दिया, बल्कि वे एक महान शिक्षक भी थे जिन्होंने अपने शिष्यों को अपनी शिक्षाएँ सिखाईं। उनके उपदेशों और विद्या को याद करके, हम आचार्य चरक को आज भी एक महान गुरु के रूप में स्मरण करते हैं।

 

आधुनिक चिकित्सा विज्ञान में आचार्य चरक के ज्ञान का सीधा प्रभाव देखने के लिए कई उदाहरण हैं।

 

1. त्रिदोष सिद्धांत: आचार्य चरक ने त्रिदोष सिद्धांत को प्रस्तुत किया, जिसमें वात, पित्त, और कफ को मूल तत्व माना गया है। यह सिद्धांत निर्देशित करता है कि रोग की उत्पत्ति त्रिदोषों के असंतुलन से होती है। आधुनिक चिकित्सा में भी विभिन्न रोगों के लिए त्रिदोष सिद्धांत का उपयोग किया जाता है, जो रोग के कारण और इलाज में मदद करता है।

2. आयुर्वेदिक औषधियाँ: आचार्य चरक ने चरक संहिता में विभिन्न औषधियों की विवेचना की है जो रोगों के उपचार में सहारा प्रदान करती हैं। आधुनिक चिकित्सा में भी कई आयुर्वेदिक औषधियों का समुचित उपयोग किया जा रहा है जैसे कि अश्वगंधा, तुलसी, त्रिफला आदि।

3. योग: आचार्य चरक ने योग को सेहत और आत्मा के लिए उपयोगी माना और इसे चरक संहिता में विस्तार से वर्णित किया। आधुनिक चिकित्सा में योग को ध्यान और अभ्यास के रूप में स्वीकारा गया है, जिससे मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।

इन तत्वों के साथ, आचार्य चरक के योगदान ने आधुनिक चिकित्सा को अपने सिद्धांतों और औषधियों के माध्यम से सुधार करने में मदद की है और आयुर्वेद को एक महत्वपूर्ण स्रोत बनाए रखा है।

आचार्य चरक का आयुर्वेद एवं चिकित्सा में योगदान आज भी प्रेरणा स्त्रोत बनता है। उन्होंने इस विश्व को सर्वप्रथम नियमित आहार (balanced diet) एवं चिकित्सा नैतिकता (medical ethics) की शिक्षा दी, जिसका ज्ञान आज के सभी चिकिसकों को अपने प्रशिक्षण के दौरान दिया जाता है। आचार्य चरक का आयुर्वेद एवं दवाइयों मे योगदान यह जगत कदापि नही भूल सकता। उन्होंने न जाने कितनी ही बीमारियों का उपचार एवं औषधियों को बनाने की प्रक्रियाएं दी है। ऐसे महान चिकित्सक एवं आयुर्वेद के विद्वान, आचार्य चरक को हमारा शत शत वंदन।

Ayurvedic
Surgery
Maharshi Sushrut

आयुर्वेद चिकित्सा, संतुलित आहार और पोषण

चिकित्सा नैतिकता और आयुर्वेदिक ग्रंथ

आचार्य चरक उपचार करते हुए

Untitled design_edited.jpg
bottom of page